समय Poetry (page 42)

होता फ़नकार-ए-जदीद और न शाएर होता

हैदर अली जाफ़री

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

हैदर अली आतिश

सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई

हैदर अली आतिश

नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

हैदर अली आतिश

वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या

हफ़ीज़ मेरठी

इस दीवाने दिल को देखो क्या शेवा अपनाए है

हफ़ीज़ मेरठी

दार-ओ-रसन ने किस को चुना देखते चलें

हफ़ीज़ मेरठी

बज़्म-ए-तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया

हफ़ीज़ मेरठी

आबाद रहेंगे वीराने शादाब रहेंगी ज़ंजीरें

हफ़ीज़ मेरठी

गया जो हाथ से वो वक़्त फिर नहीं आता

हफ़ीज़ जौनपुरी

अख़ीर वक़्त है किस मुँह से जाऊँ मस्जिद को

हफ़ीज़ जौनपुरी

पी हम ने बहुत शराब तौबा

हफ़ीज़ जौनपुरी

जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के

हफ़ीज़ जौनपुरी

अब तो नहीं आसरा किसी का

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल ने आँखों तक आने में इतना वक़्त लिया

हफ़ीज़ जालंधरी

देखा न कारोबार-ए-मोहब्बत कभी 'हफ़ीज़'

हफ़ीज़ जालंधरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

फ़ुर्सत की तमन्ना में

हफ़ीज़ जालंधरी

एक लड़की शादाँ

हफ़ीज़ जालंधरी

मज़हका आओ उड़ाएँ इश्क़-ए-बे-बुनियाद का

हफ़ीज़ जालंधरी

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए

हफ़ीज़ जालंधरी

आ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने

हफ़ीज़ जालंधरी

जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं

हफ़ीज़ बनारसी

जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं

हफ़ीज़ बनारसी

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