वसल Poetry (page 4)

बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

चाहूँ तो अभी हिज्र के हालात बता दूँ

सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद

याद के त्यौहार में वस्ल-ओ-वफ़ा सब चाहिए

सय्यद मुनीर

अब्र का माहताब का भी था

सय्यद मुनीर

किस हसीं ख़्वाब का फ़साना है

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

हाल-ए-बेदारी में रह कर भी मैं ख़्वाबों में रहा

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

पहलू-ए-ग़ैर में दुख-दर्द समोने न दिया

सय्यद काशिफ़ रज़ा

इज़्ज़त उसी की अहल-ए-नज़र की नज़र में है

सय्यद अमीर हसन मारहरवी दिलेर

सीने में आग आँख सू-ए-दर लगी रहे

सय्यद अाग़ा अली महर

कट गई रात सुब्ह होती है

सय्यद अाग़ा अली महर

अपना दुनिया से सफ़र ठहरा है

सय्यद अाग़ा अली महर

वो लौट आई है ऑफ़िस से हिज्र ख़त्म हुआ

स्वप्निल तिवारी

किसी की याद में शमएँ जलाना भूल जाता है

सुहैल सानी

न इब्तिदा-ए-जुनूँ है न इंतिहा-ए-जुनूँ

सुहैल काकोरवी

बरसों हुए उस से न कोई बात हुई रात

सुहैल काकोरवी

वो थे पहलू में और थी चाँदनी रात

सूफ़ी तबस्सुम

वो मुझ से हुए हम-कलाम अल्लाह अल्लाह

सूफ़ी तबस्सुम

सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई

सूफ़ी तबस्सुम

जब अश्क तिरी याद में आँखों से ढले हैं

सूफ़ी तबस्सुम

आज है कुछ सबब आज की शब न जा

सुबहान असद

जिस कूँ तुझ ग़म सीं दिल-शिगाफ़ी है

सिराज औरंगाबादी

बुत-परस्तों कूँ है ईमान-ए-हक़ीक़ी वस्ल-ए-बुत

सिराज औरंगाबादी

ऐ नूर-ए-नज़र मुंतज़िर-ए-वस्ल हूँ आ जा

सिराज औरंगाबादी

यार जब पेश-ए-नज़र होता है

सिराज औरंगाबादी

उश्शाक़ का दिल दाग़ का अंदाज़ा हुआ महज़

सिराज औरंगाबादी

तिरी ज़ुल्फ़ ज़ुन्नार का तार है

सिराज औरंगाबादी

शर्बत-ए-वस्ल पिला जा लब-ए-शीरीं की क़सम

सिराज औरंगाबादी

पी कर शराब-ए-शौक़ कूँ बेहोश हो बेहोश हो

सिराज औरंगाबादी

मिरा दिल नहीं है मेरे हात तुम बिन

सिराज औरंगाबादी

मान मत कर आशिक़-ए-बे-ताब का अरमान मान

सिराज औरंगाबादी

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