याद Poetry (page 9)

मुझे ख़बर थी कि अब लौट कर न आऊँगा

वसी शाह

इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे

वसी शाह

उदास रातों में तेज़ कॉफ़ी की तल्ख़ियों में

वसी शाह

तुम मिरी आँख के तेवर न भुला पाओगे

वसी शाह

तो मैं भी ख़ुश हूँ कोई उस से जा के कह देना

वसी शाह

जाने क्यूँ भाई का भाई खुल के दुश्मन हो गया

वसीम मीनाई

जो शख़्स मिरा दस्त-ए-हुनर काट रहा है

वसीम मलिक

वहाँ अब जा के देखें हम से क्या इरशाद करते हैं

वसीम ख़ैराबादी

हम ने उस शोख़ की रानाई क़ामत देखी

वसीम ख़ैराबादी

तेरी याद

वसीम बरेलवी

खिलौना

वसीम बरेलवी

कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी

वसीम बरेलवी

भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे

वसीम बरेलवी

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे

वसीम बरेलवी

खेल मौजों का ख़तरनाक सही क्या मैं इस खेल से डर जाऊँगा

वाक़िफ़ राय बरेलवी

इन आँसुओं से भला मेरा क्या भला होगा

वक़ार मानवी

गई है शाम अभी ज़ख़्म ज़ख़्म कर के मुझे

वक़ार मानवी

अगर रोना ही अब मेरा मुक़द्दर है मोहब्बत में

वक़ार मानवी

मेरे होंटों का अभी ज़हर तिरे जिस्म में है

वक़ार ख़ान

वो निगाह मिल के निगाह से ब-अदा-ए-ख़ास झिझक गई

वक़ार बिजनोरी

चश्म-ए-यक़ीं से देखिए जल्वा-गह-ए-सिफ़ात में

वक़ार बिजनोरी

वो वादे याद नहीं तिश्ना है मगर अब तक

वामिक़ जौनपुरी

वो तो कहिए आज भी ज़ंजीर में झंकार है

वामिक़ जौनपुरी

कौन सुनता है भिकारी की सदाएँ इस लिए

वामिक़ जौनपुरी

ज़मीर

वामिक़ जौनपुरी

तुझ से मिल कर दिल में रह जाती है अरमानों की बात

वामिक़ जौनपुरी

दिल के वीराने को यूँ आबाद कर लेते हैं हम

वामिक़ जौनपुरी

बुलाए जाते हैं मक़्तल में हम सज़ा के लिए

वामिक़ जौनपुरी

उस बुत ने गुलाबी जो उठा मुँह से लगाई

वलीउल्लाह मुहिब

पहचाने तू हर-दम वही हर आन वही है

वलीउल्लाह मुहिब

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