जाति Poetry (page 22)

कब्क ओ क़ुमरी में है झगड़ा कि चमन किस का है

अल्ताफ़ हुसैन हाली

अब वो अगला सा इल्तिफ़ात नहीं

अल्ताफ़ हुसैन हाली

गुम रहोगे कब तक अपनी ज़ात ही में

अलक़मा शिबली

दश्त-दर-दश्त फिरा करता हूँ प्यासा हूँ मैं

अलक़मा शिबली

ज़रा भी काम न आएगा मुस्कुराना क्या

आलोक मिश्रा

शिकवा

अल्लामा इक़बाल

मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा

अल्लामा इक़बाल

लेनिन

अल्लामा इक़बाल

मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में

अल्लामा इक़बाल

यार जब नैनों में आया हू-ब-हू

अलीमुल्लाह

लगा कर इश्क़ का कजरा नयन को

अलीमुल्लाह

हुस्न का देख हर तरफ़ गुलज़ार

अलीमुल्लाह

अपने से बे-समझ को हक़ की कहाँ पछानत

अलीमुल्लाह

न आसमाँ की कहानी न वाँ का क़िस्सा लिख

अली ज़हीर लखनवी

आए हम 'ग़ालिब'-ओ-'इक़बाल' के नग़्मात के बा'द

अली सरदार जाफ़री

तसव्वुर मुन्कशिफ़-अज़-बाम हो जाने से डरता हूँ

अली मुज़म्मिल

मेरी इम्लाक समझ बे-सर-ओ-सामानी को

अली मुज़म्मिल

उठेंगे मौत से पहले

अली अकबर नातिक़

अपने नाख़ुन अपने चेहरे पर ख़राशें दे गए

अली अकबर अब्बास

रूह की बात सुने जिस्म के तेवर देखे

अली अब्बास उम्मीद

तमाम उम्र की दीवानगी के ब'अद खुला

आलमताब तिश्ना

हिसार-ए-मक़्तल-ए-जाँ में लहू लहू मैं था

आलमताब तिश्ना

मुफ़ाहमत

अख़्तर-उल-ईमान

वो कम-नसीब जो अहद-ए-जफ़ा में रहते हैं

अख़्तर ज़ियाई

जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है

अख़तर शाहजहाँपुरी

अगर बुलंदी का मेरी वो ए'तिराफ़ करे

अख़तर शाहजहाँपुरी

तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है

अख़्तर सईद ख़ान

शाख़-ए-तन्हाई से फिर निकली बहार-ए-फ़स्ल-ए-ज़ात

अख़्तर हुसैन जाफ़री

तर्क-ए-वादा कि तर्क-ए-ख़्वाब था वो

अख़्तर हुसैन जाफ़री

सब ख़याल उस के लिए हैं सब सवाल उस के लिए

अख़्तर हुसैन जाफ़री

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