ज़बां Poetry (page 12)

कोई भी लफ़्ज़-ए-इबरत-आश्ना मैं पढ़ नहीं सकता

सय्यद नसीर शाह

ख़ुदा ने मुँह में ज़बान दी है तो शुक्र ये है कि मुँह से बोलो

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

न अपना बाक़ी ये तन रहेगा न तन में ताब ओ तवाँ रहेगी

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

फ़ज़ा का हब्स चीरती हुई हवा उठे

सौरभ शेखर

सदमा हर-चंद तिरे जौर से जाँ पर आया

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ने ग़रज़ कुफ़्र से रखते हैं न इस्लाम से काम

मोहम्मद रफ़ी सौदा

मक़्दूर नहीं उस की तजल्ली के बयाँ का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

किस के हैं ज़ेर-ए-ज़मीं दीदा-ए-नम-नाक हनूज़

मोहम्मद रफ़ी सौदा

कब दिल शिकस्त-गाँ से कर अर्ज़-ए-हाल आया

मोहम्मद रफ़ी सौदा

दिल ले के हमारा जो कोई तालिब-ए-जाँ है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

बे-वज्ह नईं है आइना हर बार देखना

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ज़मीं की वुसअ'तों से आसमाँ तक

सत्यपाल जाँबाज़

रौशनी से तीरगी ताबीर कर दी जाएगी

सरवर अरमान

वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले

सरवर आलम राज़

जिस क़दर शिकवे थे सब हर्फ़-ए-दुआ होने लगे

सरवर आलम राज़

तेरी नाराज़गी फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ है

सरताज आलम आबिदी

जब तआ'रुफ़ से बे-नियाज़ था मैं

सरफ़राज़ ज़ाहिद

नज़्म

सरफ़राज़ ख़ालिद

उन बुतों से रब्त तोड़ा चाहिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

कहीं ये तस्कीन-ए-दिल न देखी कहीं ये आराम-ए-जाँ न देखा

सरस्वती सरन कैफ़

हम सोज़-ए-दिल बयाँ करें तुम से कहाँ तलक

सरस्वती सरन कैफ़

कौन इन लाखों अदाओं में मुझे प्यारी नहीं

साक़िब लखनवी

मुर्दा-ख़ाना

साक़ी फ़ारुक़ी

ख़राब हो गया जब मेरे जिस्म का काग़ज़

संजय मिश्रा शौक़

वो आरज़ू कि दिलों को उदास छोड़ गई

समद अंसारी

हक़-नवाई को ज़माने की ज़बाँ कौन करे

समद अंसारी

दुनिया का ज़र्रा ज़र्रा मियाँ इश्क़ इश्क़ है

सलमान ज़फ़र

यक़ीन है कि वो मेरी ज़बाँ समझता है

सलीम शहज़ाद

ज़मीं को सज्दा किया ख़ूँ से बा-वज़ू हो कर

सलीम शाहिद

वो ख़ूँ बहा कि शहर का सदक़ा उतर गया

सलीम शाहिद

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