ज़बां Poetry (page 14)

कौन कहता है मोहब्बत की ज़बाँ होती है

साहिर होशियारपुरी

मेरे मरने की भी उन को न ख़बर दी जाए

साहिर होशियारपुरी

कौन कहता है मोहब्बत की ज़बाँ होती है

साहिर होशियारपुरी

दर्द-ए-दिल भी कभी लहू होगा

साहिर होशियारपुरी

अदू-ए-बद-गुमाँ की दास्ताँ कुछ और कही है

साहिर होशियारपुरी

तिरे सिवा मिरी हस्ती कोई जहाँ में नहीं

साहिर देहल्वी

नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए

साहिर देहल्वी

मस्त-ए-निगाह-ए-नाज़ का अरमाँ निकालिए

साहिर देहल्वी

हम दिल की निगाहों से जहाँ देख रहे हैं

सहर महमूद

हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया

सहर अंसारी

हम अहल-ए-ज़र्फ़ कि ग़म-ख़ाना-ए-हुनर में रहे

सहर अंसारी

इक ख़्वाब के मौहूम निशाँ ढूँड रहा था

सहर अंसारी

कब तलक हमारी सई-ए-अमल राएगाँ रहे

सग़ीर अहमद सूफ़ी

मैं ढूँड लूँ अगर उस का कोई निशाँ देखूँ

सग़ीर मलाल

जज़्बा-ए-सोज़-ए-तलब को बे-कराँ करते चलो

साग़र सिद्दीक़ी

उर्दू-ए-मुअ'ल्ला

सफ़ी लखनवी

कुछ लोग थे सफ़र में मगर हम-ज़बाँ न थे

सईद नक़वी

चाहे हमारा ज़िक्र किसी भी ज़बाँ में हो

सईद नक़वी

अपनी आँखों से तो दरिया भी सराब-आसा मिले

सादिक़ नसीम

जिस्म पर खुरदुरी सी छाल उगा

सादिक़

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे

सदा अम्बालवी

नींद आई ही नहीं हम को न पूछो कब से

सदा अम्बालवी

ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल

साबिर ज़फ़र

सच यही है कि बहुत आज घिन आती है मुझे

साबिर

क्यूँ ढूँढती रहती हूँ उसे सारे जहाँ में

सबा नुसरत

नग़्मा-ज़न है नज़र-ए-बे-आवाज़

सबा नक़वी

यगाना बन के हो जाए वो बेगाना तो क्या होगा

सबा अकबराबादी

जो हमारे सफ़र का क़िस्सा है

सबा अकबराबादी

उदास मौसम के रतजगों में

सादुल्लाह शाह

हम कि चेहरे पे न लाए कभी वीरानी को

सादुल्लाह शाह

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