अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे
अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से
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दिल के कहने पर चल निकला
बड़ा घाटे का सौदा है 'सदा' ये साँस लेना भी
वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे
यूँ तो इक उम्र साथ साथ हुई
इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगी
दिल को समझा लें अभी से तो मुनासिब होगा
वक़्त के साथ 'सदा' बदले तअल्लुक़ कितने
कौन आएगा भूल कर रस्ता
चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं
लोग कहते हैं दिल लगाना जिसे
अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले