लोग कहते हैं दिल लगाना जिसे
रोग वो भी लगा के देख लिया
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रस्म-ए-दुनिया तो किसी तौर निभाते जाओ
दिल के कहने पर चल निकला
इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगी
अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले
वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे
तबीअत रफ़्ता रफ़्ता ख़ूगर-ए-ग़म होती जाती है
दिखाएगी असर दिल की पुकार आहिस्ता आहिस्ता
चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं
दिल न माना मना के देख लिया
तुम सितारों के भरोसे पे न बैठे रहना
वक़्त के साथ 'सदा' बदले तअल्लुक़ कितने