मोहब्बत के मरीज़ों का मुदावा है ज़रा मुश्किल
उतरता है 'सदा' उन का बुख़ार आहिस्ता आहिस्ता
Wasi Shah
Habib Jalib
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(564) Peoples Rate This
इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगी
अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले
तुम सितारों के भरोसे पे न बैठे रहना
वक़्त के साथ 'सदा' बदले तअल्लुक़ कितने
रस्म-ए-दुनिया तो किसी तौर निभाते जाओ
मंज़र-ए-रुख़्सत-ए-दिलदार भुलाया न गया
दिल के कहने पर चल निकला
दिल न माना मना के देख लिया
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे
'सदा' के पास है दुनिया का तजरबा वाइज़
ज़ुल्फ़ लहरा के फ़ज़ा पहले मोअत्तर कर दे
कौन आएगा भूल कर रस्ता