बड़ा घाटे का सौदा है 'सदा' ये साँस लेना भी
बढ़े है उम्र ज्यूँ-ज्यूँ ज़िंदगी कम होती जाती है
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हमें न रास ज़माने की महफ़िलें आई
'सदा' के पास है दुनिया का तजरबा वाइज़
तुम सितारों के भरोसे पे न बैठे रहना
अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले
वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे
क्यूँ ये हसरत थी दिल लगाने की
क्यूँ सदा पहने वो तेरा ही पसंदीदा लिबास
न ज़िक्र गुल का कहीं है न माहताब का है
दिल को समझा लें अभी से तो मुनासिब होगा
दिल के कहने पर चल निकला
मंज़र-ए-रुख़्सत-ए-दिलदार भुलाया न गया
दिल न माना मना के देख लिया