क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
आज महफ़िल में तिरे नाम पे पैमाने चले
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Gulzar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
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कोई माज़ी के झरोकों से सदा देता है
कभी तिरी कभी अपनी हयात का ग़म है
दिन गुज़रता है कहाँ रात कहाँ होती है
कल और आज
दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा
क़याम-ए-दैर-ओ-तवाफ़-ए-हरम नहीं करते
दिन को रहते झील पर दरिया किनारे रात को
ज़िंदगी के वो किसी मोड़ पे गाहे गाहे
दिल के वीरान रास्ते भी देख
सराब
वक़्त की बात
मिरे हबीब मिरी मुस्कुराहटों पे न जा