Friendship Poetry (page 2)
बातें करो
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
सूरज की पहली किरन
अमजद इस्लाम अमजद
नए आदमी का कंफ़ेशन
ग़ज़नफ़र
मुग़ल की कार
असद जाफ़री
दुश्मन की तरफ़ दोस्ती का हाथ
मुनीर नियाज़ी
ज़ाबता
हबीब जालिब
ज़िंदगी और मौत
फ़ज़लुर्रहमान
जो बे-रुख़ी का रंग बहुत तेज़ मुझ में है
इरफ़ान सत्तार
ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं
इरफ़ान सत्तार
वो कैसे लोग होते हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं
इरफ़ान अहमद मीर
रस्म-ए-उल्फ़त से है मक़्सूद-ए-वफ़ा हो कि न हो
इरफ़ान अहमद मीर
मौसमों की बातों तक गुफ़्तुगू रही अपनी
इक़बाल उमर
ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की
इक़बाल सुहैल
उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में
इक़बाल सुहैल
जो तसव्वुर से मावरा न हुआ
इक़बाल सुहैल
असीरों में भी हो जाएँ जो कुछ आशुफ़्ता-सर पैदा
इक़बाल सुहैल
अब दिल को हम ने बंदा-ए-जानाँ बना दिया
इक़बाल सुहैल
वो दोस्त था तो उसी को अदू भी होना था
इक़बाल साजिद
संग-दिल हूँ इस क़दर आँखें भिगो सकता नहीं
इक़बाल साजिद
रुख़-ए-रौशन का रौशन एक पहलू भी नहीं निकला
इक़बाल साजिद
ख़त्म रातों-रात उस गुल की कहानी हो गई
इक़बाल साजिद
हर मोड़ नई इक उलझन है क़दमों का सँभलना मुश्किल है
इक़बाल सफ़ी पूरी
गर्दिशों में भी हम रास्ता पा गए
इक़बाल सफ़ी पूरी
साल नौ के लिए एक नज़्म
इक़बाल नाज़िर
सरसर चली वो गर्म कि साए भी जल गए
इक़बाल मिनहास
अज्नबिय्यत का हर इक रुख़ पे निशाँ है यारो
इक़बाल माहिर
काहिश-ए-ग़म ने जिगर ख़ून किया अंदर से
इक़बाल कौसर
कभी आइने सा भी सोचना मुझे आ गया
इक़बाल कौसर
अभी मिरा आफ़्ताब उफ़ुक़ की हुदूद से आश्ना नहीं है
इक़बाल कौसर
यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
इक़बाल कैफ़ी