Friendship Poetry (page 99)
बैठता उठता था मैं यारों के बीच
अब्बास ताबिश
धुआँ सा फैल गया दिल में शाम ढलते ही
अब्बास रिज़वी
उस से पूछो अज़ाब रस्तों का
अब्बास दाना
ज़र्फ़ से बढ़ के हो इतना नहीं माँगा जाता
अब्बास दाना
वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में
अब्बास दाना
उस की वफ़ा न मेरी वफ़ा का सवाल था
अब्बास दाना
न हो जिस पे भरोसा उस से हम यारी नहीं रखते
अब्बास दाना
मिरा ख़ुलूस अभी सख़्त इम्तिहान में है
अब्बास दाना
मौत ने मुस्कुरा के पूछा है
अब्बास दाना
बेवफ़ाई उस ने की मेरी वफ़ा अपनी जगह
अब्बास दाना
अपने ही ख़ून से इस तरह अदावत मत कर
अब्बास दाना
चश्म-ए-ज़ाहिर-बीं को हर इक पेश-मंज़र आश्ना
अब्बास अलवी
बे-वज्ह नहीं उन का बे-ख़ुद को बुलाना है
अब्बास अली ख़ान बेखुद
थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई
आज़िम कोहली
ख़याल-ए-यार का जल्वा यहाँ भी था वहाँ भी था
आज़िम कोहली
इक इश्क़ है कि जिस की गली जा रहा हूँ मैं
आज़िम कोहली
दोस्तों की बज़्म में साग़र उठाए जाएँगे
आज़िम कोहली
वो मेरे क़ल्ब को छेदेगा कब गुमान में था
अातिश बहावलपुरी
ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह
अातिश बहावलपुरी
कमाल-ए-हुस्न का जिस से तुम्हें ख़ज़ाना मिला
अातिश बहावलपुरी
किस के बदन की नर्मियाँ हाथों को गुदगुदा गईं
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
तिरी दोस्ती का कमाल था मुझे ख़ौफ़ था न मलाल था
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
गुफ़्तुगू करने लगे रेत के अम्बार के साथ
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
आँखों को नक़्श-ए-पा तिरा दिल को ग़ुबार कर दिया
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
ज़ंग-ख़ुर्दा लब अचानक आफ़्ताबी हो गए
आतिफ़ कमाल राना
इतना ही बहुत है कि ये बारूद है मुझ में
आतिफ़ कमाल राना
हवा आई न ईंधन आ रहा है
आतिफ़ कमाल राना
बहार-ए-ज़ख़्म-ए-लब-ए-आतिशीं हुई मुझ से
आतिफ़ कमाल राना
दी गई तरतीब-ए-बज़्म-ए-कुन-फ़काँ मेरे लिए
आसी रामनगरी
उसी के जल्वे थे लेकिन विसाल-ए-यार न था
आसी ग़ाज़ीपुरी