Friendship Poetry (page 97)
हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ
अब्दुल मजीद सालिक
जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
मैं यूँ तलाश-ए-यार में दीवाना हो गया
अब्दुल हमीद अदम
ऐ दोस्त मोहब्बत के सदमे तन्हा ही उठाने पड़ते हैं
अब्दुल हमीद अदम
ज़ुल्फ़-ए-बरहम सँभाल कर चलिए
अब्दुल हमीद अदम
सो के जब वो निगार उठता है
अब्दुल हमीद अदम
साक़ी शराब ला कि तबीअ'त उदास है
अब्दुल हमीद अदम
मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है
अब्दुल हमीद अदम
मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है
अब्दुल हमीद अदम
मिरा इख़्लास भी इक वज्ह-ए-दिल-आज़ारी है
अब्दुल हमीद अदम
जुम्बिश-ए-काकुल-ए-महबूब से दिन ढलता है
अब्दुल हमीद अदम
इतना तो दोस्ती का सिला दीजिए मुझे
अब्दुल हमीद अदम
हवा सनके ख़ारों की बड़ी तकलीफ़ होती है
अब्दुल हमीद अदम
हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
अब्दुल हमीद अदम
गो तिरी ज़ुल्फ़ों का ज़िंदानी हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा
अब्दुल हमीद अदम
एक ना-मक़बूल क़ुर्बानी हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर
अब्दुल हमीद अदम
दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना
अब्दुल हमीद अदम
दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
अब्दुल हमीद अदम
छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो
अब्दुल हमीद अदम
भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा
अब्दुल हमीद अदम
बे-सबब क्यूँ तबाह होता है
अब्दुल हमीद अदम
अगरचे रोज़-ए-अज़ल भी यही अँधेरा था
अब्दुल हमीद अदम
आता है कौन दर्द के मारों के शहर में
अब्दुल हमीद अदम
उसे देख कर अपना महबूब प्यारा बहुत याद आया
अब्दुल हमीद
साए फैल गए खेतों पर कैसा मौसम होने लगा
अब्दुल हमीद
कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं
अब्दुल हमीद
किसी का क़हर किसी की दुआ मिले तो सही
अब्दुल हमीद
इस तिलिस्म-ए-रोज़-ओ-शब से तो कभी निकलो ज़रा
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी