Friendship Poetry (page 96)
कब करे क़स्द यार आवन का
अब्दुल वहाब यकरू
अगर नहीं क़स्द ऐ ज़ालिम मिरे दिल के सताने का
अब्दुल वहाब यकरू
नई ग़ज़ल का नई फ़िक्र-ओ-आगही का वरक़
अब्दुल वहाब सुख़न
मुझे एहसास ये पल पल रहा है
अब्दुल वहाब सुख़न
ग़म से घबरा के कभी नाला-ओ-फ़रियाद न कर
अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची
यारा है कहाँ इतना कि उस यार को यारो
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
अनार-ए-ख़ुल्द को तू रख कि मैं पसंद नहीं
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ज़ात उस की कोई अजब शय है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
तीर पहलू में नहीं ऐ रुफ़क़ा-ए-पर्वाज़
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
न अदा मुझ से हुआ उस सितम-ईजाद का हक़
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
महफ़िल इश्क़ में जो यार उठे और बैठे
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
जान अपनी चली जाए हे जाए से कसू की
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ग़म-ए-हयात ग़म-ए-दिल निशात-ए-जाँ गुज़रा
अब्दुल मतीन नियाज़
ज़लज़ले सख़्त आते रहे रात-भर
अब्दुल मन्नान तरज़ी
मिरी निगाह को जल्वों का हौसला दे दो
अब्दुल मन्नान तरज़ी
ख़ून जब अश्क में ढलता है ग़ज़ल होती है
अब्दुल मन्नान तरज़ी
खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा
अब्दुल मन्नान तरज़ी
तू जो आबाद है ऐ दोस्त मिरे दिल के क़रीब
अब्दुल मलिक सोज़
दिल अपना याद-ए-यार से बेगाना तो नहीं
अब्दुल मलिक सोज़
अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम
अब्दुल मजीद सालिक
ख़िरद में मुब्तिला है 'सालिक' दीवाना बरसों से
अब्दुल मजीद सालिक