Friendship Poetry (page 4)
गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही
इंशा अल्लाह ख़ान
बात के साथ ही मौजूद है टाल एक न एक
इंशा अल्लाह ख़ान
अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है
इंशा अल्लाह ख़ान
अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच
इंशा अल्लाह ख़ान
अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा
इंशा अल्लाह ख़ान
मोहब्बत
इंजिला हमेश
जिला
इंजिला हमेश
कोई गा दे मीठी लोरी सजन
इंजील सहीफ़ा
फ़ज़ा में रंग से बिखरे हैं चाँदनी हुई है
इंजील सहीफ़ा
किस को हम-सफ़र समझें जो भी साथ चलते हैं
इंद्र मोहन मेहता कैफ़
शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो
इन्दिरा वर्मा
हज़ार ख़्वाब लिए जी रही हैं सब आँखें
इन्दिरा वर्मा
दोस्त जब ज़ी-वक़ार होता है
इन्दिरा वर्मा
रहती है सब के पास तन्हाई
इंद्र सराज़ी
ए'तिराफ़
इनाम-उल-हक़ जावेद
लिक्खेंगे न इस हार के अस्बाब कहाँ तक
इनाम-उल-हक़ जावेद
वो आते-जाते इधर देखता ज़रा सा है
इनाम कबीर
रवाँ नदी के किनारे सड़क पे रुक जाना
इनाम कबीर
जिस क़दर भी हवा है ख़ाली है
इनाम कबीर
होते होंगे इस दुनिया में अर्श के दा'वेदार बुलंद
इनाम हनफ़ी
तसव्वुरात में वो ज़ूम कर रहा था मुझे
इनआम आज़मी
कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं
इनआम आज़मी
कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं
इनआम आज़मी
जुदा हो कर समुंदर से किनारा क्या बनेगा
इनआम आज़मी
जिस तरफ़ देखिए बाज़ार उदासी का है
इनआम आज़मी
वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था
इम्तियाज़ साग़र
अजब उलझन है जो समझा नहीं हूँ
इम्तियाज़ अली गौहर
उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए
इमरान-उल-हक़ चौहान
अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे
इमरान-उल-हक़ चौहान
सितारे सब मिरे महताब मेरे
इमरान शनावर