Friendship Poetry (page 6)
सर्व में रंग है कुछ कुछ तिरी ज़ेबाई का
इमदाद अली बहर
साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट
इमदाद अली बहर
सैर उस सब्ज़ा-ए-आरिज़ की है दुश्वार बहुत
इमदाद अली बहर
सब हसीनों में वो प्यारा ख़ूब है
इमदाद अली बहर
फल आते हैं फूल टूटते हैं
इमदाद अली बहर
मेरे आगे तज़्किरा माशूक़-ओ-आशिक़ का बुरा
इमदाद अली बहर
मर गए पर भी न हो बोझ किसी पर अपना
इमदाद अली बहर
मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता
इमदाद अली बहर
मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का
इमदाद अली बहर
महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया
इमदाद अली बहर
ख़ूब-रूयान-ए-जहाँ चाँद की तनवीरें हैं
इमदाद अली बहर
ख़ूब-रू सब हैं मगर हूरा-शमाइल एक है
इमदाद अली बहर
कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त
इमदाद अली बहर
जिस को चाहो तुम उस को भर दो
इमदाद अली बहर
जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा
इमदाद अली बहर
जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है
इमदाद अली बहर
जल्वा-ए-अर्बाब-ए-दुनिया देखिए
इमदाद अली बहर
इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ
इमदाद अली बहर
इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से
इमदाद अली बहर
ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका
इमदाद अली बहर
हम नाक़िसों के दौर में कामिल हुए तो क्या
इमदाद अली बहर
हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते
इमदाद अली बहर
हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है
इमदाद अली बहर
हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं
इमदाद अली बहर
ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है
इमदाद अली बहर
गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया
इमदाद अली बहर
दुपट्टा वो गुलनार दिखला गए
इमदाद अली बहर
दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए
इमदाद अली बहर
दम-ए-मर्ग बालीं पर आया तो होता
इमदाद अली बहर
दाग़ बैआ'ना हुस्न का न हुआ
इमदाद अली बहर