Friendship Poetry (page 5)
कुछ तो ऐ यार इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई हो
इमरान शनावर
एक तितली उड़ी
इमरान शमशाद
ख़ुदा तू इतनी भी महरूमियाँ न तारी रख
इमरान हुसैन आज़ाद
मैं सच कहूँ पस-ए-दीवार झूट बोलते हैं
इमरान आमी
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
इम्दाद इमाम असर
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
इम्दाद इमाम असर
ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं
इम्दाद इमाम असर
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
इम्दाद इमाम असर
सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो
इम्दाद इमाम असर
सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ
इम्दाद इमाम असर
क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या
इम्दाद इमाम असर
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
इम्दाद इमाम असर
क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़
इम्दाद इमाम असर
किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात
इम्दाद इमाम असर
कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का
इम्दाद इमाम असर
जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था
इम्दाद इमाम असर
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है
इम्दाद इमाम असर
ग़म नहीं मुझ को जो वक़्त-ए-इम्तिहाँ मारा गया
इम्दाद इमाम असर
अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा
इम्दाद इमाम असर
ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा
इमदाद अली बहर
ये दिल है तो आफ़त में पड़ते रहेंगे
इमदाद अली बहर
वस्ल में ज़िक्र ग़ैर का न करो
इमदाद अली बहर
वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया
इमदाद अली बहर
वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे
इमदाद अली बहर
वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे
इमदाद अली बहर
तेरी हर इक बात है नश्तर न छेड़
इमदाद अली बहर
तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद
इमदाद अली बहर
सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके
इमदाद अली बहर
सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके
इमदाद अली बहर
शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का
इमदाद अली बहर