लोगों से दूर सैकड़ों लोगों के साथ हूँ

लोगों से दूर सैकड़ों लोगों के साथ हूँ

मैं मौज की तरह कई मौजों के साथ हूँ

तन्हा भी हूँ सड़क पे किसी पोल की तरह

और मुंसलिक भी दूसरे पोलों के साथ हूँ

तुम को तो छाँव कोई घनी छाँव चाहिए

मैं आज भी जले हुए पेड़ों के साथ हूँ

बस इक क़दम उठा तो वहीं टूट जाऊँगा

मिस्ल-ए-हबाब पाँव के छालों के साथ हूँ

ज़िंदों के दरमियान भी लगता है यूँ मुझे

मैं जैसे सर्द-ख़ाने की लाशों के साथ हूँ

यूँ ख़ुशबुएँ बहार की बच्चों ने दीं मुझे

गो ख़ार हूँ प लगता है फूलों के साथ हूँ

उन आँसुओं के साथ नहीं हूँ जो बह गए

जो दिल में रुक गए हैं उन अश्कों के साथ हूँ

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In Hindi By Famous Poet Mushtaq Shad. is written by Mushtaq Shad. Complete Poem in Hindi by Mushtaq Shad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.