आराम Poetry (page 11)

हर्फ़-ए-यक़ीं

अकबर हैदराबादी

क़ौम के ग़म में डिनर खाते हैं हुक्काम के साथ

अकबर इलाहाबादी

जुरअत ऐ दिल मय ओ मीना है वो ख़ुद-काम भी है

ऐश देहलवी

है एक ही लम्हा जो कहीं वस्ल कहीं हिज्र

ऐन ताबिश

आवारा भटकता रहा पैग़ाम किसी का

ऐन ताबिश

ख़िदमत-ए-वतन

अहमक़ फफूँदवी

गर्दिश-ए-जाम नहीं गर्दिश-ए-अय्याम तो है

अहमद राही

दिल-ए-बेताब के हमराह सफ़र में रहना

अहमद जावेद

लैंडस्केप

अहमद हमेश

किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले

अहमद हमेश

जब भी दिल खोल के रोए होंगे

अहमद फ़राज़

हच-हाईकर

अहमद फ़राज़

जब भी दिल खोल के रोए होंगे

अहमद फ़राज़

हम तो ख़ुश थे कि चलो दिल का जुनूँ कुछ कम है

अहमद फ़राज़

ज़िंदगी उस ने बदल कर मिरी रख दी ऐसी

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

कौन है किस का ये पैग़ाम है क्या अर्ज़ करूँ

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

सन्नाटे का आलम क़ब्र में है है ख़्वाब-ए-अदम आराम नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

आग़ा हज्जू शरफ़

लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की

अफ़ज़ल ख़ान

पाता नहीं हूँ और किसी काम से लज़्ज़त

आफ़ताब शाह आलम सानी

किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है

आफ़ताब हुसैन

फूलों की सेज पर ज़रा आराम क्या किया

आदिल मंसूरी

हश्र की सुब्ह दरख़्शाँ हो मक़ाम-ए-महमूद

आदिल मंसूरी

आशिक़ थे शहर में जो पुराने शराब के

आदिल मंसूरी

हाल खुलता नहीं जबीनों से

अदा जाफ़री

किस की रखती हैं ये मजाल अँखियाँ

आबरू शाह मुबारक

तिरी दुनिया के नक़्शे में

अबरार अहमद

हमारे दुखों का इलाज कहाँ है

अबरार अहमद

कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर

अबरार अहमद

हक़ मिरा मुझ को मिरे यार नहीं देते हैं

अब्दुश्शुकूर आसी

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