लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की
यकुम मई को भी मज़दूरों ने मज़दूरी की
Gulzar
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बना रक्खी हैं दीवारों पे तस्वीरें परिंदों की
भाव ताओ में कमी बेशी नहीं हो सकती
कल अपने शहर की बस में सवार होते हुए
तभी तो मैं मोहब्बत का हवालाती नहीं होता
ये जो कुछ लोग ख़यालों में रहा करते हैं
ये मोहब्बत के महल ता'मीर करना छोड़ दे
नहीं था ध्यान कोई तोड़ते हुए सिगरेट
मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी
ये भी ख़ुद को हौसला देने का हीला है कि मैं
इक वडेरा कुछ मवेशी ले के बैठा है यहाँ
किसी ने ख़्वाब में आकर मुझे ये हुक्म दिया