बाज़ार Poetry (page 11)
ताल सोचें न समुंदर सोचें
रशीद एजाज़
इस उजड़े शहर के आसार तक नहीं पहुँचे
रऊफ़ अमीर
गर्म इन रोज़ों में कुछ इश्क़ का बाज़ार नहीं
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
गर्म इन रोज़ों में कुछ इश्क़ का बाज़ार नहीं
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते
रम्ज़ी असीम
लो शुरूअ नफ़रत हुई
रमेश कँवल
कहीं जंगल कहीं दरबार से जा मिलता है
राम रियाज़
शौक़ की हद को अभी पार किया जाना है
राजेश रेड्डी
बे-वफ़ाओं को वफ़ाओं का ख़ुदा हम ने कहा
राजेन्द्र नाथ रहबर
दिल की बर्बादी के आसार अभी बाक़ी हैं
राही शहाबी
ख़्वाब
राही मासूम रज़ा
मिरे पाँव में पायल की वही झंकार ज़िंदा है
इरम ज़ेहरा
तुम मुझे भी काँच की पोशाक पहनाने लगे
इक़बाल साजिद
बे-ख़बर दुनिया को रहने दो ख़बर करते हो क्यूँ
इक़बाल साजिद
दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा
इक़बाल नवेद
ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
इक़बाल कौसर
करें हिजरत तो ख़ाक-ए-शहर भी जुज़-दान में रख लें
इक़बाल कौसर
अब हम भी सोचते हैं कि बाज़ार गर्म है
इक़बाल अज़ीम
कहीं शबनम कहीं ख़ुशबू कहीं ताज़ा कली रखना
इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी
दूर तक बस ख़ून के ठहरे हुए दरिया मिले
इंतिख़ाब सय्यद
काश अब्र करे चादर-ए-महताब की चोरी
इंशा अल्लाह ख़ान
एक दिन रात की सोहबत में नहीं होते शरीक
इंशा अल्लाह ख़ान
अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच
इंशा अल्लाह ख़ान
दिल पर किसी पत्थर का निशाँ यूँ ही रहेगा
इनाम नदीम
कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं
इनआम आज़मी
जिस तरफ़ देखिए बाज़ार उदासी का है
इनआम आज़मी
हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना
इम्तियाज़ साग़र
आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया
इमरान हुसैन आज़ाद
ठिकाना है कहीं जाएँ कहाँ नाचार बैठे हैं
इम्दाद इमाम असर
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है
इम्दाद इमाम असर
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