बाज़ार Poetry (page 12)

शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का

इमदाद अली बहर

ख़ूब-रू सब हैं मगर हूरा-शमाइल एक है

इमदाद अली बहर

ज़ोर है गर्मी-ए-बाज़ार तिरे कूचे में

इमाम बख़्श नासिख़

सिर्फ़ आज़ार उठाने से कहाँ बनता है

इलियास बाबर आवान

वो हम नहीं थे तो फिर कौन था सर-ए-बाज़ार

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शिकस्ता-पर जुनूँ को आज़माएँगे नहीं क्या

इफ़्तिख़ार आरिफ़

समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नहीं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शोर-ए-दरिया-ए-वफ़ा इशरत-ए-साहिल के क़रीब

इफ़्तिख़ार आज़मी

रहमतों में तिरी आग़ोश की पाले गए हम

इफ़्फ़त अब्बास

एक मुद्दत से सर-ए-दोश-ए-हवा हूँ मैं भी

इफ़्फ़त अब्बास

लबों पर प्यास हो तो आस के बादल भरे रखियो

इब्राहीम अश्क

वहशत-ए-दिल के ख़रीदार भी नापैद हुए

इब्न-ए-इंशा

ये बच्चा किस का बच्चा है

इब्न-ए-इंशा

लब पर नाम किसी का भी हो

इब्न-ए-इंशा

जल्वा-नुमाई बे-परवाई हाँ यही रीत जहाँ की है

इब्न-ए-इंशा

दिल सी चीज़ के गाहक होंगे दो या एक हज़ार के बीच

इब्न-ए-इंशा

उस के सिवा क्या अपनी दौलत

हुरमतुल इकराम

पास-ए-नामूस-ए-तमन्ना हर इक आज़ार में था

होश तिर्मिज़ी

कहीं पे माल-ओ-दुनिया की ख़रीदार की बातें हैं

हिना हैदर

ये शहर-ए-रफ़ीक़ाँ है दिल-ए-ज़ार सँभल के

हिमायत अली शाएर

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

हातिम अली मेहर

ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें

हस्तीमल हस्ती

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

देखे अगर ये गर्मी-ए-बाज़ार आफ़्ताब

हसन बरेलवी

एक बे-नाम सा डर सीने में आ बैठा है

हसन अब्बास रज़ा

गुल हुए चाक-गरेबाँ सर-ए-गुलज़ार ऐ दिल

हसन आबिद

एक इंसान हूँ इंसाँ का परस्तार हूँ मैं

हामिद मुख़्तार हामिद

भूल जा मत रह किसी की याद में खोया हुआ

हामिद जीलानी

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