दीपक Poetry (page 25)

जब तक चराग़-ए-शाम-ए-तमन्ना जले चलो

फ़रहत शहज़ाद

हिज्र ओ विसाल चराग़ हैं दोनों तन्हाई के ताक़ों में

फ़रहत एहसास

ज़मीं से अर्श तलक सिलसिला हमारा भी था

फ़रहत एहसास

तुझे ख़बर हो तो बोल ऐ मिरे सितारा-ए-शब

फ़रहत एहसास

तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं

फ़रहत एहसास

रास्ता दे ऐ हुजूम-ए-शहर घर जाएँगे हम

फ़रहत एहसास

मिरे सुबूत बहे जा रहे हैं पानी में

फ़रहत एहसास

मैं अपने रू-ए-हक़ीक़त को खो नहीं सकता

फ़रहत एहसास

महफ़िल में अब के आओ तो ऐसी ख़ता न हो

फ़रहत एहसास

काबा-ए-दिल दिमाग़ का फिर से ग़ुलाम हो गया

फ़रहत एहसास

जिस्म जब महव-ए-सुख़न हों शब-ए-ख़ामोशी से

फ़रहत एहसास

हमें जब अपना तआरुफ़ कराना पड़ता है

फ़रहत एहसास

हमें जब अपना तआरुफ़ कराना पड़ता है

फ़रहत एहसास

दोनों का ला-शुऊ'र है इतना मिला हुआ

फ़रहत एहसास

चराग़-ए-शहर से शम-ए-दिल-ए-सहरा जलाना

फ़रहत एहसास

बुझ गए सारे चराग़-ए-जिस्म-ओ-जाँ तब दिल जला

फ़रहत एहसास

बादल इस बार जो उस शहर पे छाए हुए हैं

फ़रहत एहसास

औरों का सारा काम मुझे दे दिया गया

फ़रहत एहसास

ये क्या हुआ कि सभी अब तो दाग़ जलने लगे

फ़रहान सालिम

मिरे चराग़ो मिरा गंज-ए-बे-कराँ ले लो

फ़रहान सालिम

आम है इज़्न कि जो चाहो हवा पर लिख दो

फ़रहान सालिम

हमा-जिहत मिरी तलब जिस की मिसाल अब नहीं

फ़रीद परबती

पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके

फ़रीद जावेद

पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके

फ़रीद जावेद

काग़ज़ के फूल

फ़रीद इशरती

फ़नकार और मौत

फ़रीद इशरती

बे-बाक अँधेरे

फ़रीद इशरती

ज़ौक़-ए-परवाज़ में साबित हुआ सय्यारों से

फ़रीद इशरती

दिल में शगुफ़्ता गुल भी हैं रौशन चराग़ भी

फ़रीद इशरती

निकल के घर से और मैदाँ में आ के

फ़राज़ सुल्तानपूरी

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