गुल Poetry (page 47)

ग़ैर हँसते हैं फ़क़त इस लिए टल जाता हूँ

हातिम अली मेहर

डुबोएगी बुतो ये जिस्म दरिया-बार पानी में

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

छोड़ेंगे गरेबाँ का न इक तार कभी हम

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

बदन-ए-यार की बू-बास उड़ा लाए हवा

हातिम अली मेहर

बदन-ए-यार की बू-बास उड़ा लाए हवा

हातिम अली मेहर

ख़ुशा वो बाग़ महकती हो जिस में बू तेरी

हसरत शरवानी

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

छेड़ नाहक़ न ऐ नसीम-ए-बहार

हसरत मोहानी

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

क़वी दिल शादमाँ दिल पारसा दिल

हसरत मोहानी

न सूरत कहीं शादमानी की देखी

हसरत मोहानी

क्या वो अब नादिम हैं अपने जौर की रूदाद से

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

दीदनी हैं दिल-ए-ख़राब के रंग

हसरत मोहानी

गुल कभू हम को दिखाती है कभी सर्व-ओ-समन

हसरत अज़ीमाबादी

वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश

हसरत अज़ीमाबादी

सीना तो ढूँड लिया मुत्तसिल अपना हम ने

हसरत अज़ीमाबादी

साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश

हसरत अज़ीमाबादी

क़ासिद-ए-ख़ुश-फ़ाल लाया उस के आने की ख़बर

हसरत अज़ीमाबादी

फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल

हसरत अज़ीमाबादी

न छुटा हाथ से यक लहज़ा गरेबाँ मेरा

हसरत अज़ीमाबादी

कम-तर या बेशतर गए हम

हसरत अज़ीमाबादी

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

जान कर कहता है हम से अपने जाने की ख़बर

हसरत अज़ीमाबादी

इश्क़ में गुल के जो नालाँ बुलबुल-ए-ग़मनाक है

हसरत अज़ीमाबादी

हम आप को तो इश्क़ में बर्बाद करेंगे

हसरत अज़ीमाबादी

हर तरफ़ है उस से मेरे दिल के लग जाने में धूम

हसरत अज़ीमाबादी

हर घड़ी मत रूठ उस से फेर पल में मिल न जा

हसरत अज़ीमाबादी

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