गुल Poetry (page 48)

है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला

हसरत अज़ीमाबादी

दामन है मेरा दश्त का दामान दूसरा

हसरत अज़ीमाबादी

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

हसरत अज़ीमाबादी

चले गए हो सुकून-ओ-क़रार-ए-जाँ ले कर

हसन ताहिर

कभी शाम-ए-हिज्र गुज़ारते कभी ज़ुल्फ़-ए-यार सँवारते

हसन रिज़वी

एक दरख़्त एक तारीख़

हसन नईम

यही तो ग़म है वो शाइ'र न वो सियाना था

हसन नईम

वो कज-निगाह न वो कज-शिआ'र है तन्हा

हसन नईम

उम्मीद ओ यास ने क्या क्या न गुल खिलाए हैं

हसन नईम

सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई

हसन नईम

रात गुज़री कि शब-ए-वस्ल का पैग़ाम मिला

हसन नईम

किसी हबीब ने लफ़्ज़ों का हार भेजा है

हसन नईम

ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ

हसन नईम

आँखों में बस रहा है अदा के बग़ैर भी

हसन नईम

कोई ग़मगीं कोई ख़ुश हो कर सदा देता रहा

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

इश्क़ को पास-ए-वफ़ा आज भी करते देखा

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

आइनों से पहले भी रस्म-ए-ख़ुद-नुमाई थी

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

मालूम हुआ कैसे ख़िज़ाँ आती है गुल पर

हसन जमील

अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है

हसन बरेलवी

मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है

हसन बरेलवी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

कर के संग-ए-ग़म-ए-हस्ती के हवाले मुझ को

हसन अख्तर जलील

बरसों तिरी तलब में सफ़ीना रवाँ रहा

हसन अख्तर जलील

आई पतझड़ गिरे फ़स्ल-ए-गुल के निशाँ रात-भर में

हसन अख्तर जलील

उस इक उम्मीद को तो राहत-ए-सफ़र न समझ

हसन अकबर कमाल

ग़म-ए-जाँ गुम ग़म-ए-दुनिया में तो होना मुश्किल

हसन अकबर कमाल

दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए

हसन अकबर कमाल

तिश्ना-कामों को यहाँ कौन सुबू देता है

हसन आबिदी

शहर-ए-ना-पुरसाँ में कुछ अपना पता मिलता नहीं

हसन आबिदी

वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए

हसन आबिद

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