जाम Poetry (page 7)

बिखरे तो फिर बहम मिरे अज्ज़ा नहीं हुए

शाैकत वास्ती

बिखरे तो फिर बहम मिरे अज्ज़ा नहीं हुए

शाैकत वास्ती

हसरतें बन कर निगाहों से बरस जाएँगे हम

शौकत परदेसी

दर से मायूस तिरे तालिब-ए-इकराम चले

शातिर हकीमी

दिलों पर नक़्श होना चाहता हूँ

शारिक़ कैफ़ी

उस ने माँगा जो दिल दिए ही बनी

शरफ़ मुजद्दिदी

रौशनी तेज़ करो

शमीम करहानी

फ़रेब-ए-नज़र

शमीम करहानी

ज़बाँ को हुक्म ही कहाँ कि दास्तान-ए-ग़म कहें

शमीम करहानी

याद की सुब्ह ढल गई शौक़ की शाम हो गई

शमीम करहानी

शम्अ' पर शम्अ' जलाती हुई साथ आती है

शमीम करहानी

ख़मोश किस लिए बैठे हो चश्म-ए-तर क्यूँ हो

शमीम करहानी

ये दौर-ए-अहल-ए-हवस है करम से काम न ले

शमीम जयपुरी

तिरे अहल-ए-दर्द के रोज़-ओ-शब इसी कश्मकश में गुज़र गए

शमीम जयपुरी

इस इल्तिफ़ात पर कोई दामन न थाम ले

शमीम जयपुरी

हमारे साथ जिसे मौत से हो प्यार चले

शमीम जयपुरी

तेरे नालों से कोई बदनाम होता जाएगा

शाकिर कलकत्तवी

गर्दिश में ज़हर भी है मुसलसल लहू के साथ

शकील जाज़िब

रिंद-ए-ख़राब-नोश की बे-अदबी तो देखिए

शकील बदायुनी

न पैमाने खनकते हैं न दौर-ए-जाम चलता है

शकील बदायुनी

मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी

शकील बदायुनी

ख़ुश हूँ कि मिरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया

शकील बदायुनी

नुमाइश-ए-अलीगढ़

शकील बदायुनी

कहाँ है आ जा

शकील बदायुनी

ये तमाम ग़ुंचा-ओ-गुल मैं हँसूँ तो मुस्कुराएँ

शकील बदायुनी

तुम ने ये क्या सितम किया ज़ब्त से काम ले लिया

शकील बदायुनी

तिरी यादों से दिल फ़रोज़ाँ करेंगे

शकील बदायुनी

तिरी अंजुमन में ज़ालिम अजब एहतिमाम देखा

शकील बदायुनी

सुब्ह का अफ़्साना कह कर शाम से

शकील बदायुनी

शिकवा-ए-इज़्तिराब कौन करे

शकील बदायुनी

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