न पैमाने खनकते हैं न दौर-ए-जाम चलता है
नई दुनिया के रिंदों में ख़ुदा का नाम चलता है
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कब तक 'शकील' दिल को दुआ कीजिएगा आप
लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी घुटी
बदलती जा रही है दिल की दुनिया
इक इक क़दम फ़रेब-ए-तमन्ना से बच के चल
ग़म-ए-हयात भी आग़ोश-ए-हुस्न-ए-यार में है
हाए इस मजबूरी-ए-ज़ौक़-ए-नज़र को क्या करूँ
तिरी महफ़िल से उठ कर इश्क़ के मारों पे क्या गुज़री
ज़रा नक़ाब-ए-हसीं रुख़ से तुम उलट देना
करने दो अगर क़त्ताल-ए-जहाँ तलवार की बातें करते हैं
कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
हंगामा-ए-ग़म से तंग आ कर इज़हार-ए-मसर्रत कर बैठे
सरगुज़िश्त-ए-दिल को रूदाद-ए-जहाँ समझा था मैं