लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी घुटी
दुनिया अगर यही है तो दुनिया से बच के चल
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नसीब दर पे तिरे आज़माने आया हूँ
दिल के बहलाने की तदबीर तो है
दिल मरकज़-ए-हिजाब बनाया न जाएगा
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
इक शहंशाह ने बनवा के....
मैं बताऊँ फ़र्क़ नासेह जो है मुझ में और तुझ में
इस दर्जा बद-गुमाँ हैं ख़ुलूस-ए-बशर से हम
तिरी अंजुमन में ज़ालिम अजब एहतिमाम देखा
शग़ुफ़्तगी-ए-दिल-ए-कारवाँ को क्या समझे
किस से जा कर माँगिये दर्द-ए-मोहब्बत की दवा
क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें
शोख़ नज़रों में जो शामिल बरहमी हो जाएगी