किनारे Poetry (page 7)

दरिया को किनारे से क्या देखते रहते हो

इनाम नदीम

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

रवाँ नदी के किनारे सड़क पे रुक जाना

इनाम कबीर

फिर आस-पास से दिल हो चला है मेरा उदास

इम्तियाज़ अली अर्शी

अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे

इमरान-उल-हक़ चौहान

काला

इमरान शमशाद

तेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम

इमरान शमशाद

इन मकानों से बहुत दूर बहुत दूर कहीं

इमरान शमशाद

जितने पानी में कोई डूब के मर सकता है

इमरान आमी

वक़्त वक़्त की बात है या दस्तूर है दुनिया का साईं

इलियास इश्क़ी

मिरी आँखों को आँखों का किनारा कौन देगा

इफ़्तिख़ार क़ैसर

समुंदर के किनारे एक बस्ती रो रही है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एक रुख़

इफ़्तिख़ार आरिफ़

खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख

इफ़्तिख़ार आरिफ़

तसव्वुर

इफ़्तिख़ार आज़मी

ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहे

इफ़्फ़त ज़र्रीं

दिल इक कुटिया दश्त किनारे

इब्न-ए-इंशा

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो

इब्न-ए-इंशा

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ऐसे कुछ लोग भी मिट्टी पे उतारे जाएँ

हस्सान अहमद आवान

तमाशा अहल-ए-मोहब्बत ये चार-सू करते

हाशिम रज़ा जलालपुरी

नज़र न आए हम अहल-ए-नज़र के होते हुए

हसीब सोज़

जंगलों की ये मुहिम है रख़्त-ए-जाँ कोई नहीं

हसन नईम

कितनी मुश्किल से बहला था ये क्या कर गई शाम

हसन कमाल

तिलिस्म-ए-आतिश-ए-ग़म आज़माने वाला हो

हसन जमील

सुनहरे ख़्वाब आँखों में बुना करते थे हम दोनों

हसन अब्बासी

कौन है जो न हुआ बंदिश-ए-ग़म से आज़ाद

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग

हक़ीर

इस तरह अहद-ए-तमन्ना को गुज़ारे जाइए

हनीफ़ अख़गर

हाए वो वक़्त-ए-जुदाई के हमारे आँसू

हकीम नासिर

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