भूमिका Poetry (page 7)

अभी देखी कहाँ हैं आप ने सब ख़ूबियाँ मेरी

ग़ौसिया ख़ान सबीन

हुस्न-ए-फ़ितरत के अमीं क़ातिल-ए-किरदार न बन

फ़ितरत अंसारी

अपने होने के जो आसार बनाने हैं मुझे

फ़ाज़िल जमीली

अब तो अश्कों की रवानी में न रक्खी जाए

फ़ाज़िल जमीली

बशर की ज़ात में शर के सिवा कुछ और नहीं

फ़ाज़िल अंसारी

कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए

फ़सीह अकमल

ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं

फ़रताश सय्यद

सर पे हर्फ़ आता है दस्तार पे हर्फ़ आता है

फ़रताश सय्यद

हम वफ़ादार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों

फ़रताश सय्यद

होने वाला था इक हादसा रह गया

फ़ारूक़ शफ़क़

इस ज़मीं आसमाँ के थे ही नहीं

फ़ारूक़ बख़्शी

मिरे सुबूत बहे जा रहे हैं पानी में

फ़रहत एहसास

फ़नकार और मौत

फ़रीद इशरती

देखता है कौन 'बाबर' किस का क्या किरदार है

फ़ैज़ आलम बाबर

मामूली बे-कार समझने वाले मुझ से दूर रहें

फ़ैज़ आलम बाबर

लाख बहकाए ये दुनिया हो गया तो हो गया

फ़ैज़ आलम बाबर

मौत की सम्त जान चलती रही

फ़हमी बदायूनी

किरदार

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

बिकेगी उस की ही दस्तार तय है

डॉक्टर आज़म

तुम ख़ुद ही दास्तान बदलते हो दफ़अतन

दिलावर अली आज़र

कुछ भी नहीं है ख़ाक के आज़ार से परे

दिलावर अली आज़र

ख़ुद में खिलते हुए मंज़र से नुमूदार हुआ

दिलावर अली आज़र

दर्द औरों का दिल में गर रखिए

दरवेश भारती

जो आँसुओं को न चमकाए वो ख़ुशी क्या है

चरख़ चिन्योटी

दुश्मन ब-नाम-ए-दोस्त बनाना मुझे भी है

बिल्क़ीस ख़ान

सच्चाइयों को बर-सर-ए-पैकार छोड़ कर

भारत भूषण पन्त

रिश्तों के जब तार उलझने लगते हैं

भारत भूषण पन्त

फिर वो बे-सम्त उड़ानों की कहानी सुन कर

भारत भूषण पन्त

किसी भी सम्त निकलूँ मेरा पीछा रोज़ होता है

भारत भूषण पन्त

चाहतों के ख़्वाब की ताबीर थी बिल्कुल अलग

भारत भूषण पन्त

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