मज़ा Poetry (page 7)

सब मिरा आब-ए-रवाँ किस के इशारों पे बहा जाता है

फ़रहत एहसास

पुराना ज़ख़्म जिसे तजरबा ज़ियादा है

फ़रहत एहसास

मेहरबाँ मौत ने मरतों को जिला रक्खा है

फ़रहत एहसास

कुछ भी न कहना कुछ भी न सुनना लफ़्ज़ में लफ़्ज़ उतरने देना

फ़रहत एहसास

किसी के एक इशारे में किस को क्या न मिला

फ़ानी बदायुनी

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

फ़ना बुलंदशहरी

कुछ दिन से इंतिज़ार-ए-सवाल-ए-दिगर में है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

अबद

फ़हमीदा रियाज़

दर्द इक्सीर के सिवा क्या है

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

शोर-ए-अतश जो फूलों की हर अंजुमन में है

धनपत राय थापर राज़

दिल ने चाहा बहुत और मिला कुछ नहीं

देवमणि पांडेय

वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो

दाग़ देहलवी

पूछिए मय-कशों से लुत्फ़-ए-शराब

दाग़ देहलवी

मुझ को मज़ा है छेड़ का दिल मानता नहीं

दाग़ देहलवी

मर्ग-ए-दुश्मन का ज़ियादा तुम से है मुझ को मलाल

दाग़ देहलवी

ख़ुदा की क़सम उस ने खाई जो आज

दाग़ देहलवी

तेरी सूरत को देखता हूँ मैं

दाग़ देहलवी

साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें

दाग़ देहलवी

मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो

दाग़ देहलवी

मिन्नतों से भी न वो हूर-शमाइल आया

दाग़ देहलवी

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

दाग़ देहलवी

ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया

दाग़ देहलवी

बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं

दाग़ देहलवी

भला हो पीर-ए-मुग़ाँ का इधर निगाह मिले

दाग़ देहलवी

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

दाग़ देहलवी

दिलकशी नाम को भी आलम-ए-इम्काँ में नहीं

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता

चकबस्त ब्रिज नारायण

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता

चकबस्त ब्रिज नारायण

जब ख़िज़ाँ आई चमन में सब दग़ा देने लगे

बूम मेरठी

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