पूछिए मय-कशों से लुत्फ़-ए-शराब
ये मज़ा पाक-बाज़ क्या जानें
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
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Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
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इस नहीं का कोई इलाज नहीं
सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना
शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों को
ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा
दिल-ए-नाकाम के हैं काम ख़राब
लाख देने का एक देना था
मुझ सा न दे ज़माने को परवरदिगार दिल
दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
साथ शोख़ी के कुछ हिजाब भी है
ख़ुदा की क़सम उस ने खाई जो आज
वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो