ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया

ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया

झूट सच आज़मा के देख लिया

उन के घर 'दाग़' जा के देख लिया

दिल के कहने में आ के देख लिया

कितनी फ़रहत-फ़ज़ा थी बू-ए-वफ़ा

उस ने दिल को जला के देख लिया

कभी ग़श में रहा शब-ए-व'अदा

कभी गर्दन उठा के देख लिया

जिंस-ए-दिल है ये वो नहीं सौदा

हर जगह से मँगा के देख लिया

लोग कहते हैं चुप लगी है तुझे

हाल-ए-दिल भी सुना के देख लिया

जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा

बार-हा आज़मा के देख लिया

ज़ख़्म-ए-दिल में नहीं है क़तरा-ए-ख़ूँ

ख़ूब हम ने दिखा के देख लिया

इधर आईना है उधर दिल है

जिस को चाहा उठा के देख लिया

उन को ख़ल्वत-सरा में बे-पर्दा

साफ़ मैदान पा के देख लिया

उस ने सुब्ह-ए-शब-ए-विसाल मुझे

जाते जाते भी आ के देख लिया

तुम को है वस्ल-ए-ग़ैर से इंकार

और जो हम ने आ के देख लिया

'दाग़' ने ख़ूब आशिक़ी का मज़ा

जल के देखा जला के देख लिया

(897) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ghair Ko Munh Laga Ke Dekh Liya In Hindi By Famous Poet Dagh Dehlvi. Ghair Ko Munh Laga Ke Dekh Liya is written by Dagh Dehlvi. Complete Poem Ghair Ko Munh Laga Ke Dekh Liya in Hindi by Dagh Dehlvi. Download free Ghair Ko Munh Laga Ke Dekh Liya Poem for Youth in PDF. Ghair Ko Munh Laga Ke Dekh Liya is a Poem on Inspiration for young students. Share Ghair Ko Munh Laga Ke Dekh Liya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.