मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है
मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है
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तुम आईना ही न हर बार देखते जाओ
होश आते ही हसीनों को क़यामत आई
अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम
हम भी क्या ज़िंदगी गुज़ार गए
क़त्ल की सुन के ख़बर ईद मनाई मैं ने
फिरे राह से वो यहाँ आते आते
दिल क्या मिलाओगे कि हमें हो गया यक़ीं
मिन्नतों से भी न वो हूर-शमाइल आया
हो सके क्या अपनी वहशत का इलाज
काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है
दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों को