वहशी कानपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वहशी कानपुरी
नाम | वहशी कानपुरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Vahshi Kanpuri |
जो हुस्न में आ के नाज़ बन जाता है
जब गुलशन-ए-दहर में था मस्कन मेरा
देखो देखो हयात-ए-फ़ानी देखो
आ दिल में फ़ज़ा-ए-तूर बन कर छा जा
शिकस्त-ए-साग़र-ए-दिल की सदाएँ सुन रहा हूँ मैं
घटाएँ ऊदी ऊदी मै-कदा बर-दोश-ए-फ़स्ल-ए-गुल
ज़मीं से आसमाँ तक आसमाँ से ला-मकाँ तक है