जजमेंट डे Poetry (page 15)

हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत

फ़ानी बदायुनी

हुस्न-ए-बुताँ का इश्क़ मेरी जान हो गया

फ़ना बुलंदशहरी

हर घड़ी पेश-ए-नज़र इश्क़ में क्या क्या न रहा

फ़ना बुलंदशहरी

कुछ बात नहीं जिस्म अगर मेरा जला है

फख्र ज़मान

जाएँगे कहाँ सर पे जब आ जाएगा सूरज

फख्र ज़मान

आज इक हर्फ़ को फिर ढूँडता फिरता है ख़याल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सितम सिखलाएगा रस्म-ए-वफ़ा ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शरह-ए-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तफ़्सील मसाफ़त की

फ़हमीदा रियाज़

दो घड़ी साए में जलने की अज़िय्यत और है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

रहे जो ज़िंदगी में ज़िंदगी का आसरा हो कर

एहसान दानिश

शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा

दिलावर फ़िगार

मायूस-ए-अज़ल हूँ ये माना नाकाम-ए-तमन्ना रहना है

दिल शाहजहाँपुरी

फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा

दत्तात्रिया कैफ़ी

लिबास-ए-फ़क़्र में हम को जो ख़ाकसार मिले

दर्शन सिंह

वो जाते हैं आती है क़यामत की सहर आज

दाग़ देहलवी

वो जब चले तो क़यामत बपा थी चारों तरफ़

दाग़ देहलवी

इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है

दाग़ देहलवी

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया

दाग़ देहलवी

दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ

दाग़ देहलवी

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं

दाग़ देहलवी

उज़्र उन की ज़बान से निकला

दाग़ देहलवी

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था

दाग़ देहलवी

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं

दाग़ देहलवी

निगाह-ए-शोख़ जब उस से लड़ी है

दाग़ देहलवी

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

दाग़ देहलवी

खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से

दाग़ देहलवी

इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई का

दाग़ देहलवी

होश आते ही हसीनों को क़यामत आई

दाग़ देहलवी

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया

दाग़ देहलवी

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