वो जब चले तो क़यामत बपा थी चारों तरफ़
ठहर गए तो ज़माने को इंक़लाब न था
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फिरे राह से वो यहाँ आते आते
वो कहते हैं क्या ज़ोर उठाओगे तुम ऐ 'दाग़'
'दाग़' को कौन देने वाला था
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया
फिरता है मेरे दिल में कोई हर्फ़-ए-मुद्दआ
पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह
इधर देख लेना उधर देख लेना
जिस जगह बैठे मिरा चर्चा किया
हो चुका ऐश का जल्सा तू मुझे ख़त भेजा
अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम
मुझ को मज़ा है छेड़ का दिल मानता नहीं
तुम आईना ही न हर बार देखते जाओ