रास्ता Poetry (page 46)

वो चराग़-ए-ज़ीस्त बन कर राह में जलता रहा

गुलनार आफ़रीन

न साथ देगा कोई राह आश्ना मेरा

गुलनार आफ़रीन

न पूछ ऐ मिरे ग़म-ख़्वार क्या तमन्ना थी

गुलनार आफ़रीन

हमारा नाम पुकारे हमारे घर आए

गुलनार आफ़रीन

दिल ने इक आह भरी आँख में आँसू आए

गुलनार आफ़रीन

हाजी तू तो राह को भूला मंज़िल को कोई पहुँचे है

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

गर शैख़ अज़्म-ए-मंज़िल-ए-हक़ है तो आ इधर

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

हमारा उन का तअ'ल्लुक़ जो रस्म-ओ-राह का था

गुलाम जीलानी असग़र

मैं इक मुसाफ़ि-ए-तन्हा मिरा सफ़र तन्हा

गुहर खैराबादी

उल्फ़त ये छुपाएँ हम किसी की

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

हसरत ऐ जाँ शब-ए-जुदाई है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

दुआएँ माँगीं हैं मुद्दतों तक झुका के सर हाथ उठा उठा कर

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

भूला है बा'द-ए-मर्ग मुझे दोस्त याँ तलक

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

उल्फ़त का दर्द-ए-ग़म का परस्तार कौन है

गोविन्द गुलशन

फ़क़त इक शग़्ल बेकारी है अब बादा-कशी अपनी

गोपाल मित्तल

इक छेड़ थी जफ़ाओं का तेरी गिला न था

गोपाल मित्तल

तोड़ सको तुम शाख़ से मुझ को ऐसी तो मैं कली नहीं हूँ

गिरिजा व्यास

मिरे पर न बाँधो

ग़ज़ाला ख़ाकवानी

यारों ने मेरी राह में दीवार खींच कर

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

किसी की राह में आने की ये भी सूरत है

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

ठहर ठहर के मिरा इंतिज़ार करता चल

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

राह से मुझ को हटा कर ले गया

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

पस्त-ओ-बुलंद में जो तुझे रिश्ता चाहिए

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

मिली राह वो कि फ़रार का न पता चला

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

मेरे लब तक जो न आई वो दुआ कैसी थी

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

कहीं कहीं से पुर-असरार हो लिया जाए

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

हैं और कई रेत के तूफ़ाँ मिरे आगे

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

सायों की ज़द में आ गईं सारी ग़ुलाम-गर्दिशें

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

आया है इक राह-नुमा के इस्तिक़बाल को इक बच्चा

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

एक ज़ाती नज़्म

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

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