रात Poetry (page 48)

इक अपने सिलसिले में तो अहल-ए-यक़ीं हूँ मैं

रईस फ़रोग़

आँखें जिन को देख न पाएँ सपनों में बिखरा देना

रईस फ़रोग़

शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है

रईस अमरोहवी

कल रात कई ख़्वाब-ए-परेशाँ नज़र आए

रईस अमरोहवी

ग़ुरूब-ए-मेहर का मातम है गुलिस्तानों में

रईस अमरोहवी

गर्द में अट रहे हैं एहसासात

रईस अमरोहवी

दीदनी है बहार का मंज़र

रईस अमरोहवी

बता क्या क्या तुझे ऐ शौक-ए-हैराँ याद आता है

रईस अमरोहवी

अपने को तलाश कर रहा हूँ

रईस अमरोहवी

ऐ दिल शरीक-ए-ताइफ़ा-ए-वज्द-ओ-हाल हो

रईस अमरोहवी

फिर जो कटती नहीं उस रात से ख़ौफ़ आता है

रहमान हफ़ीज़

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई

राही मासूम रज़ा

उम्मीद

राही मासूम रज़ा

तआरुफ़

राही मासूम रज़ा

गिरेबाँ का फ़ासला

राही मासूम रज़ा

एक नज़्म सुब्ह के इंतिज़ार में

राही मासूम रज़ा

चोर

राही मासूम रज़ा

चाँद और चकोर

राही मासूम रज़ा

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई

राही मासूम रज़ा

हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद

राही मासूम रज़ा

दिलों की राह पर आख़िर ग़ुबार सा क्यूँ है

राही मासूम रज़ा

ऐ आवारा यादो फिर ये फ़ुर्सत के लम्हात कहाँ

राही मासूम रज़ा

हर एक शक्ल में सूरत नई मलाल की है

इरफ़ान सत्तार

एक तारीक ख़ला उस में चमकता हवा मैं

इरफ़ान सत्तार

कितनी दूर से चलते चलते ख़्वाब-नगर तक आई हूँ

इरम ज़ेहरा

कैसे बनाऊँ हाथ पर तस्वीर ख़्वाब की

इरम ज़ेहरा

एक इक लम्हा कि एक एक सदी हो जैसे

इक़बाल उमर

अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार-ए-सहर हो कि न हो

इक़बाल उमर

प्यासे के पास रात समुंदर पड़ा हुआ

इक़बाल साजिद

ख़त्म रातों-रात उस गुल की कहानी हो गई

इक़बाल साजिद

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