रात Poetry (page 50)

बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की

इंशा अल्लाह ख़ान

आने अटक अटक के लगी साँस रात से

इंशा अल्लाह ख़ान

अन-देखी ज़मीं पर

इंजिला हमेश

राज़ी-नामा

इंजील सहीफ़ा

अन-छूई कथा

इंजील सहीफ़ा

किस को हम-सफ़र समझें जो भी साथ चलते हैं

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

ये शफ़क़ चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते

इन्दिरा वर्मा

तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है

इन्दिरा वर्मा

शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो

इन्दिरा वर्मा

अभी से कैसे कहूँ तुम को बेवफ़ा साहब

इन्दिरा वर्मा

दिन में जो साथ सब के हँसता था

इंद्र सराज़ी

दिल से दिल का रिश्ता होगा

इंद्र सराज़ी

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

कोई बाग़ सा सजा हुआ मिरे सामने

इनाम नदीम

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था

इम्तियाज़ साग़र

ढूँडिए दिन रात हफ़्तों और महीनों के बटन

इमरान शमशाद

वो शाम ढले तेरा मिलना वो तेरा हँसाना याद नहीं

इमरान साग़र

तलाश मैं ने ज़िंदगी में तेरी बे-शुमार की

इमरान हुसैन आज़ाद

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

लोगों के सभी फ़लसफ़े झुटला तो गए हम

इमरान हुसैन आज़ाद

रात चराग़ की महफ़िल में शामिल एक ज़माना था

इमदाद निज़ामी

तड़प तड़प के तमन्ना में करवटें बदलीं

इम्दाद इमाम असर

यूँही उलझी रहने दो क्यूँ आफ़त सर पर लाते हो

इम्दाद इमाम असर

मेरे सर में जो रात चक्कर था

इम्दाद इमाम असर

महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था

इम्दाद इमाम असर

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का

इम्दाद इमाम असर

दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता

इम्दाद इमाम असर

तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद

इमदाद अली बहर

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