सागर Poetry (page 6)

काश इक शब के लिए ख़ुद को मयस्सर हो जाएँ

तौसीफ़ तबस्सुम

इक तीर नहीं क्या तिरी मिज़्गाँ की सफ़ों में

तौसीफ़ तबस्सुम

सूरत-ए-इश्क़ बदलता नहीं तू भी मैं भी

तौक़ीर तक़ी

रूठ कर आँख के अंदर से निकल जाते हैं

तौक़ीर तक़ी

वो जो इक इल्ज़ाम था उस पर कहीं

तौक़ीर रज़ा

रुख़ से नक़ाब उन के जो हटती चली गई

तौक़ीर अहमद

हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म

तसनीम आबिदी

जैसे कश्ती और उस पर बादबाँ फैले हुए

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

जैसे कश्ती और इस पर बादबाँ फैले हुए

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

लगा के ग़ोता समुंदर में तुम गुहर ढूँडो

तासीर सिद्दीक़ी

वो लोग भी तो किनारों पे आ के डूब गए

तारिक़ क़मर

बड़ी हवेली के तक़्सीम जब उजाले हुए

तारिक़ क़मर

दर-ओ-बस्त-ए-अनासिर पारा पारा होने वाला है

तारिक़ नईम

तेज़ लहजे की अनी पर न उठा लें ये कहीं

तारिक़ जामी

फेंकें भी ये लिबास बदन का उतार के

तनवीर सामानी

सफ़र और क़ैद में अब की दफ़अ' क्या हुआ

तनवीर अंजुम

जान के एवज़

तनवीर अंजुम

आज़ादी से नींदों तक

तनवीर अंजुम

बस्तियाँ तो आसमाँ ले जाएँगे

तनवीर अंजुम

आहिस्ता-रवी शहर को काहिल न बना दे

तालीफ़ हैदर

पहाड़ों को बिछा देते कहीं खाई नहीं मिलती

तफ़ज़ील अहमद

मेहवर पे भी गर्दिश मिरी मेहवर से अलग हो

तफ़ज़ील अहमद

लहरों में भँवर निकलेंगे मेहवर न मिलेगा

तफ़ज़ील अहमद

जिस्म के अंदर जिस्म के बाहर

तबस्सुम काश्मीरी

बहुत ग़ुरूर था बिफरे हुए समुंदर को

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

निगाह ओ दिल में वही कर्बला का मंज़र था

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

दर्द सीने में कहीं चीख़ रहा हो जैसे

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

ख़ुलासा ये मिरे हालात का है

सय्यद ज़मीर जाफ़री

बड़ी हैरत से अरबाब-ए-वफ़ा को देखता हूँ मैं

सय्यद ज़मीर जाफ़री

मैं कर्ब-ए-बुत-तराशी-ए-आज़र में क़ैद था

सय्यद शकील दस्नवी

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