वृक्षारोपण Poetry (page 11)

जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था

इम्दाद इमाम असर

दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता

इम्दाद इमाम असर

क्या रोज़-ए-बद में साथ रहे कोई हम-नशीं

इमाम बख़्श नासिख़

चाहतों का सिलसिला है मुस्तक़िल

इफ़्तिख़ार राग़िब

हम से अपने गाँव की मिट्टी के घर छीने गए

इफ़्तिख़ार क़ैसर

नाम भी जिस का ज़बाँ पर था दुआओं की तरह

इफ़्तिख़ार नसीम

दश्त-ए-बे-सम्त में रुकना भी सफ़र ऐसा था

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

वही चराग़ बुझा जिस की लौ क़यामत थी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

इल्तिजा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

थकन तो अगले सफ़र के लिए बहाना था

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अजीब कर्ब-ए-मुसलसल दिल-ओ-नज़र में रहा

इफ़्फ़त ज़र्रीं

देखा नहीं चाँद ने पलट कर

इदरीस बाबर

तुम सा गर राहबर नहीं होता

इबरत बहराईची

सुबूत-ए-जुर्म न मिलने का फिर बहाना किया

हुसैन ताज रिज़वी

फिर तिरा शहर तिरी राहगुज़र हो कि न हो

हुसैन ताज रिज़वी

रात सुनसान दश्त ओ दर ख़ामोश

हिमायत अली शाएर

रास्ता देर तक सोचता रह गया

हिलाल फ़रीद

हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला

हिलाल फ़रीद

आँसू को अपने दीदा-ए-तर से निकालना

हज़ीं लुधियानवी

न ज़क़न है वो न लब हैं न वो पिस्ताँ न वो क़द

हातिम अली मेहर

ये इंतिक़ाम है या एहतिजाज है क्या है

हसीब सोज़

नज़र न आए हम अहल-ए-नज़र के होते हुए

हसीब सोज़

उम्र सारी यूँही गुज़ारी है

हसन रिज़वी

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

हसन रिज़वी

कोई मौसम हो यही सोच के जी लेते हैं

हसन नईम

याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा

हसन नईम

ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ

हसन नईम

कोई दानाइयों को हेच जाने

हसन जमील

अजीब हाल है सहरा-नशीं हैं घर वाले

हसन अज़ीज़

उस इक उम्मीद को तो राहत-ए-सफ़र न समझ

हसन अकबर कमाल

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