याद Poetry (page 48)

ये किस की याद की बारिश में भीगता है बदन

हुमैरा राहत

तअल्लुक़ की नई इक रस्म अब ईजाद करना है

हुमैरा राहत

तअल्लुक़ की नई इक रस्म अब ईजाद करना है

हुमैरा राहत

हवा के साथ ये कैसा मोआमला हुआ है

हुमैरा राहत

वो तक़ाज़ा-ए-जुनूँ अब के बहारों में न था

होश तिर्मिज़ी

पास-ए-नामूस-ए-तमन्ना हर इक आज़ार में था

होश तिर्मिज़ी

मिलता नहीं मिज़ाज ख़ुद अपनी अदा में है

होश तिर्मिज़ी

देखे हैं जो ग़म दिल से भुलाए नहीं जाते

होश तिर्मिज़ी

वही हुआ कि ख़ुद भी जिस का ख़ौफ़ था मुझे

हिलाल फ़रीद

मुझे वो याद करते हैं ये कह कर

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

सितम तीर-ए-निगाह-ए-दिलरुबा था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ये जो हर शय में तिरी जल्वागरी है ऐ दोस्त

हज़ार लखनवी

महक किरदार की आती रही है

हयात लखनवी

शौक़ कहता है कि चलिए कू-ए-जानाँ की तरफ़

हया लखनवी

सैंडिलों और झाड़ूओं से रोज़ मुझ को झाड़ना

हातिम भट्टी

हम को अब भी नहर पर जा कर नहाना याद है

हातिम भट्टी

न ले जा दैर से का'बा हमें ज़ाहिद कि हम वाँ भी

हातिम अली मेहर

ज़िक्र-ए-जानाँ कर जो तुझ से हो सके

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें

हस्तीमल हस्ती

शाम हो या कि सहर याद उन्हीं की रखनी

हसरत मोहानी

फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदाया

हसरत मोहानी

नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती

हसरत मोहानी

मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिल

हसरत मोहानी

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