कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
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सितम तीर-ए-निगाह-ए-दिलरुबा था
दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया
कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें
मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था
वो ये कहते हैं ज़माने की तमन्ना मैं हूँ
अक्स से अपने वो यूँ कहते हैं आईने में
ऐ हिज्र वक़्त टल नहीं सकता है मौत का
मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है
न दर्द था न ख़लिश थी न तिलमिलाना था
क्या रश्क है कि एक का है एक मुद्दई