याद Poetry (page 55)

क़दम शबाब में अक्सर बहकने लगता है

हफ़ीज़ बनारसी

लुत्फ़-ए-जफ़ा इसी में है याद-ए-जफ़ा न आए फिर

हादी मछलीशहरी

महव-ए-कमाल-ए-आरज़ू मुझ को बना के भूल जा

हादी मछलीशहरी

न तेरी याद न दुनिया का ग़म न अपना ख़याल

हबीब जालिब

कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ

हबीब जालिब

जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें

हबीब जालिब

इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें

हबीब जालिब

लायल-पूर

हबीब जालिब

ख़ुदा हमारा है

हबीब जालिब

ये सोच कर न माइल-ए-फ़रियाद हम हुए

हबीब जालिब

तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था

हबीब जालिब

लोग गीतों का नगर याद आया

हबीब जालिब

कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ

हबीब जालिब

कैसे कहें कि याद-ए-यार रात जा चुकी बहुत

हबीब जालिब

जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूँ

हबीब जालिब

जब कोई कली सेहन-ए-गुलिस्ताँ में खिली है

हबीब जालिब

हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं

हबीब जालिब

दिल पर जो ज़ख़्म हैं वो दिखाएँ किसी को क्या

हबीब जालिब

दयार-ए-'दाग़'-ओ-'बेख़ुद' शहर-ए-देहली छोड़ कर तुझ को

हबीब जालिब

भुला भी दे उसे जो बात हो गई प्यारे

हबीब जालिब

बहुत रौशन है शाम-ए-ग़म हमारी

हबीब जालिब

बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ

हबीब जालिब

अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं

हबीब जालिब

वो यूँ शक्ल-ए-तर्ज़-ए-बयाँ खींचते हैं

हबीब मूसवी

सब में हूँ फिर किसी से सरोकार भी नहीं

हबीब मूसवी

गर मैं नहीं तो दर्द का पैकर कोई तो है

हबीब कैफ़ी

हम अहल-ए-आरज़ू पे अजब वक़्त आ पड़ा

हबीब हैदराबादी

पहलू में इक नई सी ख़लिश पा रहा हूँ मैं

हबीब अशअर देहलवी

मौज-ए-अन्फ़ास भी इक तेग़-ए-रवाँ हो जैसे

हबीब अशअर देहलवी

मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

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