न तेरी याद न दुनिया का ग़म न अपना ख़याल
अजीब सूरत-ए-हालात हो गई प्यारे
Anwar Masood
Rahat Indori
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3398) Peoples Rate This
अहद-ए-सज़ा
इक शख़्स बा-ज़मीर मिरा यार 'मुसहफ़ी'
आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह
दयार-ए-'दाग़'-ओ-'बेख़ुद' शहर-ए-देहली छोड़ कर तुझ को
न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में
मुलाक़ात
कभी तो मेहरबाँ हो कर बुला लें
ये सोच कर न माइल-ए-फ़रियाद हम हुए
कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ
यौम-ए-मई
'फ़ैज़' और 'फ़ैज़' का ग़म भूलने वाला है कहीं
अब तेरी ज़रूरत भी बहुत कम है मिरी जाँ