इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
आ गए याद कई नाम हसीनाओं के
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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शहर-ए-ज़ुल्मात को सबात नहीं
दस्तूर
और सब भूल गए हर्फ़ सदाक़त लिखना
'लता'
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ
सलाम लोगो
ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या
बहुत रौशन है शाम-ए-ग़म हमारी
नन्ही जा सो जा
ये और बात तेरी गली में न आएँ हम
बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ
न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में