एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं
Wasi Shah
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
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कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़
जागने वालो ता-ब-सहर ख़ामोश रहो
मीरा-जी
मुम्ताज़
'ग़ालिब'-ओ-'यगाना' से लोग भी थे जब तन्हा
तेज़ चलो
उस ने जब हँस के नमस्कार किया
उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए
झूटी ख़बरें घड़ने वाले झूटे शे'र सुनाने वाले
ये सोच कर न माइल-ए-फ़रियाद हम हुए
अहद-ए-सज़ा
अभी ऐ दोस्त ज़ौक़-ए-शाएरी है वज्ह-ए-रुस्वाई