दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
Parveen Shakir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Jaun Eliya
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तेज़ चलो
इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
तेरी बस्ती में जिधर से गुज़रे
न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में
नीलो
अश्क आँखों में अब हैं आए से
जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूँ
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था
रेफ़्रेनडम
रोए भगत कबीर
सच ही लिखते जाना
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ